College Code: 9336713040
श्री रैनाथ मिश्र वत्सगोत्रीय ब्राहम्ण थे, जो मयूर भट्ट के वंशवष्क्ष के अनुसार सातवीं पीढ़ी के थे | मयूर भट्ट और बार्णभट्ट चचाजात, भाई, संस्कष्त के प्रसिद्ध, कवि, महाराज हर्ष देव द्वारा भट्ट की उपाधि से समलंकष्त उनकी राजसभा के पण्डित थे | कालान्तर में मयूर भट्ट जी के अयोध्या नरेश बोधिदेव से प्राप्त पांच गांवों की जागीर (चैनपुर, चन्नाडीह, फरियावंडीह , ककराडीह एवं रेवली) की देखभाल करने के कारण हर्ष की राजसभा छोड़ दी थी | मयूर भट्ट की पहली पत्नी नागसेनी से पुत्र नागेश भट्ट हुए और दूसरी पत्नी सूर्यप्रभा के लडके का नाम विश्वसेन था | उसी विश्वसेन के नाना महाराज बौद्धिदेव ने उसे मध्यपाली (मझौली) का राजा बनाया, जिससे विसेनवंश चला | ऊपर कहा जा चुका है कि श्री रैनाथ मिश्र मयूर की सातवीं में हुए | मयूर के नागेश, नागेश के माधव, माधव के रामलक्षण, रामलक्षण के निर्मल, निर्मल के शिव प्रसन्न और शिव प्रसन्न के श्री रैनाथ मिश्र | श्री रैनाथ बड़े ही नैष्ठिक और आचरण शील व्यक्ति थे | वे रेवली में अपना अधिकांश समय- बिताते थे | यदा-कदा पयासी भी देख लिया करते थे | एक बार आर्थिक विपन्नता के कारण वे मझौली राज की लगान राशि जमा नहीं कर सके थे | उसकी वसूली के लिए महाराज के सिपाहियों ने रेवली पहुंचकर उनसे लगान की मांग की | श्री रैनाथ जी ने उनसे कुछ दिनों के लिए मुहल्लत मांग ली | उन दिनों महाराज शिकार खेलने के लिए चम्पारन चले गये थे | पुन: शीघ्र सिपाहियों ने रेवली में जाकर श्री रैनाथ जी को मझौली जाने के लिए तैयार कर लिया | वाध्य होकर श्री रैनाथ मिश्र अपने एक सेवक कुर्मी के साथ मझौली को चल दिए | उन के पीछे-पीछे उनकी कुतिया भी चल दी | सिपाहियों ने उन्हें बंदीगृह में बन्द कर दिया | श्री रैनाथ जी ने अनशन करने का संकल्प कर लिया | राजा साहब भी चम्पारन से वापस आ गये | उनहोंने भी उनसे अनशन तोड़ने का आग्रह किया, वरन श्री रैनाथ जी अपने संकल्प पर अडिंग रहे | अन्ततः बीसवे या इक्कसवें दिन उनका बड़ा शरीर छूट गया | मझौली राजभवन से लगभग तीन किलोमीटर दक्षिण-पूर्व कोड़रा ग्राम वासियों ने ब्रह्म जी का चौरा निर्माण किया एवं उनकी पूजा-अर्चना करने लगे | श्री रैनाथ ब्रह्म की उक्त स्थली आज से 20-25 वर्ष गहन जंगल के बीच थी, जो नितान्त एकान्त और भयावनी थी | यद्यपि वर्तमान में वह स्थान अत्यन्त रमणीय बनाया जा चुका है तो भी उसका पश्चिमी भाग..... Read More
श्री रैनाथ ब्रह्मदेव श्री रैनाथ ब्रह्मदेव शिक्षा समिति श्री रैनाथ मिश्र वत्सगोत्रीय ब्राहम्ण थे, जो मयूर भट्ट के वंशवष्क्ष के अनुसार सातवीं पीढ़ी के थे | मयूर भट्ट और बार्णभट्ट चचाजात, भाई, संस्कष्त के प्रसिद्ध, कवि, महाराज हर्ष देव द्वारा भट्ट की उपाधि से......
श्री रैनाथ ब्रह्मदेव शिक्षा समिति श्री रैनाथ मिश्र वत्सगोत्रीय ब्राहम्ण थे, जो मयूर भट्ट के वंशवष्क्ष के अनुसार सातवीं पीढ़ी के थे | मयूर भट्ट और बार्णभट्ट चचाजात, भाई, संस्कष्त के प्रसिद्ध, कवि, महाराज हर्ष देव द्वारा भट्ट की उपाधि से......
प्रबंधक श्री पं. गंगा दयाल मिश्र शिक्षा मानव समाज के सर्वांगीण विकास की आधार- शिला है | मानव को विवेकशील एवं संस्कारवान बनाकर, शिक्षा ही निरंतर उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है| वास्तव में किसी भी सभ्य समाज के अनुभूत सत्य की साक्षी शिक्षा..
शिक्षा मानव समाज के सर्वांगीण विकास की आधार- शिला है | मानव को विवेकशील एवं संस्कारवान बनाकर, शिक्षा ही निरंतर उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है| वास्तव में किसी भी सभ्य समाज के अनुभूत सत्य की साक्षी शिक्षा..
प्राचार्य डॉ. इन्द्रदेव पाण्डेय शिक्षा मानव समाज के सर्वांगीण विकास की आधार- शिला है | मानव को विवेकशील एवं संस्कारवान बनाकर, शिक्षा ही निरंतर उसे प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है| वास्तव में किसी भी सभ्य समाज के अनुभूत सत्य की साक्षी शिक्षा..
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